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फूलों का हो रहा हवन
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Poems
भूमिका
दर्पण पर दागों का ताला
लोकतंत्र की चीरफाड़ से
अंतिम सत्य
समस्या खडी
कुर्सी का डर
ये काफिले कभी सैलाब में बदलेंगे
स्वांग
हिलती रही इमारत
सरल सूत्र
बड़ा सुख
कहँi सुखी
पहले सत्ता फिर सिदर्धांत बनायेंगे
मूर्छा से चेतना तक
सुखों से घिरे रह कर
उन्हें ढूंढो
बरस जाओ
रूसी साम्यवाद का प्रस्थान
फूट- फूट रो रहा वन
मैं और आप
कृपा पात्र
ज़िन्दगी का मेला