घटनाओं के मध्य में

अनुक्रम
शीर्षक
दो शब्द
अस्तित्व का श्रेय
अभाव का अमृत
स्नेह बरसता रहूँगा
तृप्ति का संसार क्यों लूँ
मरघट की राख
युगप्रभात
सागर की लहरें और तट
न रोको उड़ते सपनों
उनका जीना भी नादानी
जग रोता जब सिर धुनकर
प्रगतिशील राही
नैतिक खंडहर देख दिवाली
मरघट का द्वारपाल
मौत की प्रत्याशा में
बातों का दर्शन
निराला की मर्मवाणी
स्वतंत्रतादिवस पर कर्णधारों से
आज कर्तव्य निभाओ रे
पर तुम्हारा काम बाकी है
समय के खिलौने
विडम्बना
सत्ता और समर्पण
पवन कुछ ऐसी चली
राष्ट्रीय विटामिन
सब नहीं जानते
अंधा युग
अँधेरे का नया रूप
बाग का दुर्भाग्य
सीधी बात
कुछ मुक्तक
युगपुरुष
जीवन का दर्शन
जीवनः एक भिन्न कोण से
अन्तिम विकल्प
समय का सिन्दूर
दो स्थितियाँ
उभरते युग बोध
क्रयविक्रय
देश का दिशाचक्र
बुद्धिमान का बल
पहले कवि का प्रथम राग
सत्ता का अँधियारा
आगअँधेरा
मिलावट
भटकन
अमीरों से
गरीबों से
बुुद्धिमानों से
सत्ताधारियों से
समाजवादियों से
हड़तालियों से
उद्योगपतियों से
अँधेरा पूरा
संयोग सामाजिक
शब्द संकट
समय का व्यंग
निर्मम चक्र
चाह
अबोली बात
तम की क्रांति